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साधक सेवा

साधक सेवा हेतु प्रारम्भ से ही अर्थात वर्ष 1957 से ही साधक आश्रम निर्माण किया हुआ है | किसी भी प्रकार की लौकिक /सांसारिक चिंता से मुक्त, अपनी आध्यात्मिक उन्नति में रत करीब 22 साधक यहाँ आश्रम में निवास कर रहे है |

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वृद्ध सेवा

वृद्ध सेवा हेतु एक वृद्धाश्रम (शुभ शांति निवास ) की स्थापना वर्ष 2006 मे की गई थी | शुभ शांति निवास एक भव्य 2 मंजिला भवन है ,जिसमे 35 कमरे है और लिफ्ट भी लगी है | सभी कमरे पूर्ण सुविधायुक्त हैं |

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बाल सेवा हेतु एक उच्च माध्यमिक विद्यालय यहाँ पर चल रहा है | बालकों के सम्यक विकास में शिक्षा व वातावरण का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है – इस भावना को दृष्टिगत रखते हुए वर्ष 1980 मे बाल मंदिर के रूप में इस विद्यालय की स्थापना की गई थी |

प्रेम निकेतन आश्रम

मानव सेवा संघ

जयपुर स्थित प्रेम निकेतन आश्रम, मानव सेवा संघ , वृन्दावन के अन्तर्गत संचालित एक इकाई है | प्रेम निकेतन आश्रम ,जवाहर सर्किल की बाहरी परिधि पर आश्रम मार्ग व बी 2 बाईपास के मध्य में स्थित है | यह आश्रम 1957 से संचालित है और आश्रम परिसर निम्न आधारित सरंचनाओ(Infrastructure) से परिपूर्ण है|

  • बिजली की खपत बचाने के लिए सौर ऊर्जा के उपकरण एव बोरिंग से पानी निकालने के लिए सौर पैनल लगाए गए है | इस प्रकार वृद्धाश्रम , अस्पताल व स्कूल में बिजली की बचत कर कार्बन फुटप्रिंट को काफी सीमा तक कम किया गया है |
  • वर्षा सरंक्षण हेतु रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम (Rain water harvesting system) भी यहाँ पर विकसित किया गया है , जिससे जल स्तर काफी अच्छा है | |
  • साथ ही पानी की बचत के लिए ड्रिप सिचाई पद्धति(Drip Irrigation) का यहाँ पर उपयोग किया जाता है | किसी भी प्रकार के केमिकल फर्टीलिएजर का उपयोग यहाँ नहीं होता है | सभी उत्पाद पूर्णतः आर्गेनिक होते है | सब्जियाँ काफी मात्रा में उगाई जाती है और वृद्धआश्रम , साधनाश्रम की आवश्यकता की अधिकांश पूर्ति यहीं से हो जाती है |

 

प्रेम निकेतन आश्रम फाउंडेशन कार्य

मानव सेवा संघ- प्रेम निकेतन आश्रम , जयपुर में संचालित सेवा

राजस्थान कौशल एंव आजीविका विकास

राजस्थान कौशल एंव आजीविका विकास निगम द्वारा स्वीकृत अनेक प्रवृतियां।

प्रेम निकेतन आश्रम परिसर राजस्थान कौशल आजीविका विकास निगम (RSLDC) द्वारा हस्तकौशल एव विकास की कक्षाएं प्रारम्भ की गई है जिनका उद्देश्य पिछडे व न्यूनतम आय वाले बेरोजगार युवक व युवतियों को हुनरमंद बना कर आने वाली भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना है | जिससे वह रोजगार को प्राप्त कर आत्मनिर्भर बन सके और एक सुन्दर समाज के निर्माण में अपना योगदान प्रदान कर सके

Manav Seva Sangh

मानव सेवा संघ मानवमात्र का अपना संघ है, जिसमें सभी मत सम्प्रदाय एवं विचारधारा के भाई बहिन सम्मिलित होकर मानव जीवन के उद्वेष्य को पूरा कर सकते है। संघ उन मौलिक सिद्वान्तो का प्रतीक है, जिनको अपनाकर प्रत्येक मानव अपना कल्याण करने में समर्थ है। मानवता बीज रूप से सभी में विघ्यमान है और मानवता ही वास्तविक जीवन है। मानव सेवा संघ उसी जीवन की ओर मानव मात्र को प्रेरित करता है, जो जीवन अपने लिये,जगत के लिये और जगत्पति के लिये उपयोगी सिद्व होता है। संघ प्रीति तथा साध्य की एकता में आस्था रखता है, और प्राप्त वस्तु,अवस्था, परिस्थिति आदि के सदुपयोग का पाठ पढाता है। मानव के जीवन को साधन युक्त बनाकर उसे विकास की ओर अग्रसर करना ही संघ का ध्येय है। प्रज्ञाचक्षु स्वामी श्री शरणानन्दजी द्वारा इस संघ की स्थापना वर्ष 1952 में मोक्षदाएकादषी के दिन हुई थी।

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